पंजाब बना देश का पहला राज्य जहाँ स्कूलों में पढ़ाई जाएगी नशामुक्ति। छात्रों को मिलेगा विशेष पाठ्यक्रम, फिल्मों और क्विज़ के ज़रिए सीख।
पंजाब सरकार ने एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय लेते हुए राज्य के स्कूलों में नशामुक्ति को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया है। अब राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराने के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इस पहल की शुरुआत आज फाजिल्का से मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने की। सरकार का दावा है कि पंजाब, देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने स्कूली स्तर पर नशामुक्ति को एक शैक्षणिक विषय के रूप में शामिल किया है।
इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को नशे से दूर रहने की प्रेरणा देने के लिए हर पंद्रहवें दिन 35 मिनट की विशेष कक्षा आयोजित की जाएगी। यह अभियान कुल 27 हफ्तों तक चलेगा। कार्यक्रम में प्रदेश के 3,658 सरकारी स्कूलों के लगभग 8 लाख छात्र भाग लेंगे। इस पहल को प्रभावी और व्यवस्थित ढंग से लागू करने के लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे इस पाठ्यक्रम को छात्रों तक सही तरीके से पहुँचा सकें।
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यह पाठ्यक्रम केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि छात्रों को फिल्मों, क्विज़, पोस्टर, वर्कशीट्स और इंटरएक्टिव गतिविधियों के ज़रिए यह सिखाया जाएगा कि उन्हें नशे से क्यों और कैसे दूर रहना चाहिए। यह एक व्यवहारिक शिक्षा कार्यक्रम होगा, जिसका उद्देश्य छात्रों की सोच को मजबूती देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वे जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय ले सकें।
ਅੱਜ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਫ਼ਾਜ਼ਿਲਕਾ ਦੇ ਅਰਨੀਵਾਲਾ ਤੋਂ ਅਰਵਿੰਦ ਕੇਜਰੀਵਾਲ ਜੀ ਨਾਲ ‘ਯੁੱਧ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਿਰੁੱਧ’ Curriculum ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ ਗਈ। ਜਿਸ ਦੇ ਤਹਿਤ ਸੂਬੇ ਭਰ ਦੇ ਸਕੂਲਾਂ ‘ਚ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਵਿਸ਼ਾ ਪੜ੍ਹਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ।
ਪੰਜਾਬ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸੂਬਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਸਕੂਲਾਂ ਦੇ ਸਿਲੇਬਸ ‘ਚ ਨਸ਼ਿਆਂ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਵਿਸ਼ਾ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।… pic.twitter.com/e3Uo2jsceT
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) August 1, 2025
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि राज्य सरकार की यह पहल पंजाब के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल नशे को रोकना नहीं है, बल्कि एक ऐसी जागरूक पीढ़ी तैयार करना है जो खुद नशे के खिलाफ खड़ी हो। अरविंद केजरीवाल ने भी इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से यदि बच्चों को सही दिशा दी जाए तो वे नशे के खिलाफ सबसे मजबूत दीवार बन सकते हैं।
यह पहली बार है जब किसी राज्य सरकार ने इतनी योजनाबद्ध और व्यापक रणनीति के साथ स्कूली शिक्षा के ज़रिए नशे के खिलाफ मुहिम शुरू की है। यह पहल सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है। आने वाले समय में इसके प्रभाव से राज्य में नशे के मामलों में उल्लेखनीय कमी देखने को मिल सकती है।
यह प्रयास न केवल शिक्षा, बल्कि जनस्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में भी एक उदाहरण बनेगा। सरकार की मंशा साफ है वह पंजाब को फिर से एक रंगला, स्वस्थ और जागरूक राज्य बनाना चाहती है। नशामुक्ति को शिक्षा से जोड़कर राज्य ने पूरे देश के लिए एक नई दिशा और सोच पेश की है।
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