उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में मुहर्रम और सावन का उल्लेख करते हुए विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि उपद्रवी तत्व “लातों के भूत हैं” और सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट से जातीय तनाव फैलाया जा रहा है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के एक कार्यक्रम में मुहर्रम-जुलूस को लेकर तीखा बयान दिया और कहा कि जब वेदों की ऋचाएं जंगलों में लिखी गईं तो जनजातीय समाज हर संघर्ष में आगे रहा। कार्यक्रम से उनका बयान चुनाव के लिए चर्चा का केन्द्र बन गया।
लाठी-डंडों से कहा ‘बाहर निकालो’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जौनपुर के एक हालिया मुहर्रम-जुलूस के दौरान हुए हादसे का जिक्र करते हुए बताया कि “3 लोग मारे गए, रोड जाम हुआ, इसलिए मैंने कहा ‘लाठी मारो, ये लातों के भूत हैं — बातों से नहीं मानेंगे’।” उन्होंने कहा कि इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर कोई विरोध नहीं हुआ।
मुहर्रम बन गया था अराजकता का कारण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा: “मुहर्रम के जुलूस अक्सर उत्पात, आगजनी और तोड़फोड़ का कारण बनते थे। इसलिए ताज़ियों की ऊँचाई सीमित करने के आदेश दिए थे ताकि बिजली-बीजली व पेड़ों का नुकसान न हो।”
सावन – कांवड़ यात्रा, आस्था की मिसाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा पर भी जोर देते हुए कहा कि “कांवड़ यात्री 200‑300‑400 किलोमीटर कावंड़ को कंधे पर ले जाकर भक्ति करते हैं, ‘हर हर बम’ बोलते हैं।” उन्होंने दुख व्यक्त किया कि उन्हें भी ‘उपद्रवी’ और ‘आतंकवादी’ बताया जाता है, जो सांप्रदायिक सद्भाव को आहत करता है।
फेक अकाउंट से फैलाया जातीय संघर्ष
योगी जी ने सोशल मीडिया को लेकर आगाह किया कि कुछ लोग फेक अकाउंट बनाकर आगजनी की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाते हैं, जैसे कि “एक आगजनी में भगवा गमछा ओढ़े व्यक्ति ने अचानक ‘या अल्लाह’ बोला था” — इन सभी को चिन्हित कर सख्त निवारक कार्रवाई की जाएगी।
आदिवासी संघर्ष की मिसाल
‘धरती आबा’ — भगवान बिरसा मुंडा पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए सीएम ने कहा, “भारत के संघर्षों में जनजातीय समाज सबसे आगे रहा। वेदों की ऋचाएं जंगलों में लिखी गईं, हमारे संस्तुति ग्रंथों में अरण्यकांड भी है।”
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