Jyeshtha Purnima (ज्येष्ठ पूर्णिमा ):
Jyeshtha Purnima: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व है। यह प्रत्येक महीने आता है। इस दिन धार्मिक रूप से गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना विधान है। पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद गरीब और असहाय लोगों को दान देना बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की पूजा भी की जाती है। आज हम ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजा विधि और महत्व बताने जा रहे हैं।
ज्योतिषी पंडित कल्कि राम ने बताया कि Jyeshtha Purnima 21 जून को प्रातः 6 बजे से शुरू होगी। 22 जून को प्रातः 5ः07 पर समापन होगा। ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं (जैसे चावल, दही, चांदी, चीनी, सफेद कपड़े) को किसी ब्राह्मण को देना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से चंद्रमा की कुंडली में स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 कौड़ियां देनी चाहिए। साथ ही हल्दी और तिलक लगाना चाहिए। धन वाले स्थान पर इसे लाल कपड़े में बांध दें। ऐसा करने से धन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी और पीपल के पेड़ को पूजा जाना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें। माना जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
