Vat Savitri Vrat 2024:
Vat Savitri व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को किया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। इस वर्ष Vat Savitri व्रत के दिन रोहिणी नक्षत्र और धृति योग होगा। विवाहित स्त्रियां इस दिन वट वृक्ष, देवी सत्यवान और सावित्री की पूजा करती हैं। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य श्री कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत कब होगा? वट सावित्री व्रत की पूजा करने के लिए मुहूर्त, सामग्री और महत्व क्या हैं?
- Vat Savitri व्रत के दिन, ब्रह्म मुहूर्त 04:02 AM से 04:42 AM तक है।
- धृति योग का प्रात:काल से लेकर रात 10 बजे 09 मिनट तक चलेगा।
- रोहिणी नक्षत्र प्रातःकाल 08:16 PM तक है, फिर मृगशिरा नक्षत्र है।
2024 में वट सावित्री व्रत कब होगा:
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या, जो Vat Savitri व्रत के लिए आवश्यक है, 05 जून को शाम 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी और 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में व्रत के लिए उदयातिथि मान्य है, इसलिए 6 जून, गुरुवार को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा।
2024 में वट सावित्री व्रत का मुहूर्त और योग:
ब्रह्म मुहूर्त वट सावित्री व्रत दिन 04:02 AM से 04:42 AM तक है। साथ ही, अभिजीत मुहूर्त या शुभ मुहूर्त 11:52 AM से 12:48 PM तक चलता है। व्रत वाले दिन धृति योग सुबह 10 बजे 09 मिनट से रात 10 बजे 09 मिनट तक चलेगा. इसके बाद शूल योग शुरू होगा। यहाँ रोहिणी नक्षत्र प्रातःकाल से रात 08:16 PM तक है, फिर मृगशिरा नक्षत्र।
2024 वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
देवी सावित्री और सत्यवान की मूर्ति या चित्र, रक्षा सूत्र, कच्चा सूत, बरगद का फल, बांस का पंखा, कुमकुम, सिंदूर, फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत, दीपक, गंध, इत्र, धूप, सुहाग सामग्री, बताशा, पान, सुपारी, पूड़ी, गुड़, भींगा चना, मूंगफली, घर पर बनाए पकवान, पाली का कलश, मखाना, पूजा के लिए एक वट वृक्ष भी चाहिए।
वट सावित्री व्रत का महत्व:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने यमराज के पीछे चलकर अपने पति सत्यवान की जान बचाई। जब तक यमराज ने उनका पुनर्जीवन नहीं दिया, तब तक वह उनके पीछे रहीं। यह घटना ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुई थी, इसलिए वट सावित्री का व्रत इस तिथि को किया जाता है। इस घटना ने माता सावित्री को अमर कर दिया।
सत्यवान का जन्म वट वृक्ष के नीचे हुआ था, इसलिए इस व्रत में सत्यवान और वट सावित्री दोनों की पूजा होती है। महिलाएं जो वट सावित्री व्रत रखती हैं, उनके जीवनसाथी लंबे समय तक जीवित रहते हैं। दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
