वरिष्ठ रंगकर्मी आलोक शुक्ला के शोध ग्रंथ ‘बघेलखंड के लोकनाट्य छाहुर’ का भव्य लोकार्पण
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित भारतीय मातृ भाषा अनुष्ठान में वरिष्ठ रंगकर्मी, लेखक और पत्रकार आलोक शुक्ला के शोध ग्रंथ ‘बघेलखंड के लोकनाट्य छाहुर की शोध यात्रा’ का लोकार्पण भव्य रूप से हुआ। यह कार्यक्रम 15 सितंबर को साहित्य अकादमी के गौरांजनी हॉल, रविंद्र भवन भोपाल में संपन्न हुआ। लोकार्पण समारोह में साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे, साहित्यकार आलोक रंजन, आलोक सोनी, निरुपमा संजय त्रिवेदी, अशोक सिंह और सुश्री भोली बेन सहित कई वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित थे।

इस अवसर पर निदेशक विकास दवे ने लेखक आलोक शुक्ला और उपस्थित साहित्यकारों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। आलोक शुक्ला ने कहा कि लोक कला को लिपिबद्ध करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि लोक कला संस्कृति श्रुति परंपरा से बढ़कर आधुनिकता के साथ विलुप्त होती जा रही है। उन्होंने बताया कि उनका यह शोध ग्रंथ बघेलखंड क्षेत्र की मिट्टी का एक छोटा सा ऋण चुकाने का प्रयास है। अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद, उन्होंने लेखन और रंगमंच के माध्यम से जीवन की चुनौतियों का सामना किया।
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आलोक शुक्ला ने साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे का धन्यवाद दिया, जिनके सादगीपूर्ण नेतृत्व में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह पुस्तक आलोक शुक्ला की छठी प्रकाशित कृति है, जिसमें उनके तीन नाट्य संग्रह, एक रंग संस्मरण और एक काव्य संग्रह शामिल हैं। ये पुस्तकें अमेजन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं।
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